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बाबा रामदेव के समूह को मिलेगी रुचि सोया, पतंजलि की 4325 करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी

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简介योग गुरु बाबा रामदेव की अगुवाई वाला पतंजलि समूह अब तक के सबसे बड़े अधिग्रहण की दिशा में आगे बढ़ रहा ...

योग गुरु बाबा रामदेव की अगुवाई वाला पतंजलि समूह अब तक के सबसे बड़े अधिग्रहण की दिशा में आगे बढ़ रहा है. कर्जदाताओं ने कर्ज में डूबी खाद्य तेल कंपनी रुचि सोया के अधिग्रहण के लिये पंतजलि आयुर्वेद की 4,बाबारामदेवकेसमूहकोमिलेगीरुचिसोयापतंजलिकीकरोड़रुपयेकीबोलीकोमंजूरी325 करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी दे दी है. कर्जदाताओं ने 9,345 करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली के लिये यह नीलामी शुरू की थी. पहले इस खरीद की दौड़ में अदानी समूह की कंपनी अदानी विलमर भी थी. लेकिन उसके बोली से हटने के बाद रुचि सोया के लिये पतंजलि एकमात्र बोलीदाता रह गई थी. अदानी विलमर का चयन कुछ महीने पहले सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में हुआ था. इसके बावजूद उसने बोली से हटने का निर्णय किया. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि कर्जदाताओं ने मंगलवार को पंतजलि की 4,325 करोड़ रुपये की संशोधित बोली को मंजूरी दे दी है. करीब 96 प्रतिशत मतदान इसके पक्ष में हुआ. देसी कंपनी रुचि सोया के अधिग्रहण के साथ पंतजलि सोयाबीन तेल तथा अन्य उत्पादों के मामले में एक बड़ी कंपनी बन जाएगी.गौरतलब है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि प्राधिकरण (एनसीएलटी) ने कर्जदाता स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक तथा डीबीएस बैंक के आवेदन पर रुचि सोया के मामले को इन्सॉल्वेंसी की कार्यवाही के लिये भेजा था. इन्सॉल्वेंसी की कार्यवाही के लिये शैलेन्द्र अजमेरा को समाधान पेशेवर नियुक्त किया गया. रुचि सोया इंडस्ट्रीज के ऊपर 9,345 करोड़ रुपये का बकाया है. इसे वित्तीय कर्जदाताओं में से भारतीय स्टेट बैंक ने सर्वाधिक 1800 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है. उसके बाद क्रमश: सेंट्रल बैंक आफ इंडिया (816 करोड़ रुपये), पंजाब नेशनल बैंक (743 करोड़ रुपये) तथा स्टैन्डर्ड चार्टर्ड बैंक इंडिया (608 करोड़ रुपये) का स्थान है. रुचि सोया के कई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं. इसके ब्रांड में न्यूट्रिला, रुचि स्टार और रुचि गोल्ड जैसे ब्रांड शामिल हैं. पतंजलि के प्रवक्ता एस.के. तिजारावाला ने पिछले महीने कहा था, 'हमने अपनी बोली को बढ़ाकर 4,350 करोड़ रुपये कर दिया है, जो पहले 4,160 करोड़ रुपये का था. हम रुचि सोया को संभालने के लिए तैयार हैं जिसके पास सोयाबीन का सबसे बड़ा बुनियादी ढांचा है. यह देश के लिए एक संपदा की तरह है. बोली बढ़ाने का निर्णय सभी पक्षों, किसानों और उपभोक्ताओं से बात करने के बाद लिया गया.' अदानी विल्मर ने पहले यह शिकायत की थी कि रेजोल्युशन प्रोसेस में काफी देरी हो रही है, जिसकी वजह से रुचि सोया के एसेट के वैल्यू में और गिरावट आएगी. हालांकि बाद में अदानी समूह की यह कंपनी दौड़ से बाहर हो गई. अदानी विल्मर का कहना था कि पतंजलि समूह द्वारा एनसीएलटी, मुंबई की शरण में चले जाने की वजह से इस प्रक्रिया में देरी हुई है. रुचि सोया के कर्जदातओं ने पहले अदानी विल्मर की बोली को मंजूर कर लिया था, जिसे पतंजलि ने एनसीएलटी में चुनौती दी थी.

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