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'चोरों की तरह चुपके से आईं..', US स्पीकर के ताइवान पहुंचने पर चीन आगबबूला

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简介अमेरिका की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर चीन के ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि वह एक चोर की ...

अमेरिका की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर चीन के ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि वह एक चोर की तरह चीन के ताइवान द्वीप में चुपके से उतर गईं. चीन ने बार-बार चेतावनी दी कि ये बहुत गंभीर मामला हैऔर इसके परिणाम भी बहुत गंभीर हो सकते हैं,चोरोंकीतरहचुपकेसेआईंUSस्पीकरकेताइवानपहुंचनेपरचीनआगबबूला लेकिन पेलोसी ने बात नहीं मानी और न ही वाशिंगटन ने इसे रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाया. उनकी इस यात्रा से तनाव का एक नया दौर शुरू हो गया और जलडमरूमध्य में गंभीर चुनौतियां पैदा हो गईं.ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, इस बार पूरी दुनिया ने देखा कि ताइवान जलडमरूमध्य में यथास्थिति को बदल रहा है, किसने पहले उकसाया और कौन शांति और स्थिरता को कमजोर कर रहा है. चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक, ताइवान डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) के अधिकारियों ने खुद को 'पीड़ित' बनाने और पिटी कार्ड खेलने का मौका लिया है. ताइवान के संबंध में अचानक अंतरराष्ट्रीय जनमत में हड़कंप मच गया है.लेकिन पेलोसी की ताइवान यात्रा से अमेरिका की ब्लैक व्हाइट कहने की बयानबाजी, उसकी आधिपत्यपूर्ण मानसिकता और ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने के कदम सभी उजागर हो गए. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के झूठे प्रतिवाद, अमेरिकी सहयोगियों और भागीदारों को भी मना नहीं सके और न ही वे अमेरिका के व्यवहार की व्याख्या कर सके. पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री पॉल कीटिंग, सिंगापुर के प्रधान मंत्री ली सीन लूंग और अन्य ने चीन और अमेरिका के बीच संभावित संघर्ष के बारे में चिंता व्यक्त की है, जो पेलोसी के व्यवहार का समर्थन नहीं है.पेलोसी की मूर्खतापूर्ण, लापरवाह, खतरनाक उत्तेजक कार्रवाइयों ने ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को कम करने की पूरी जिम्मेदारी अमेरिका और DPP अधिकारियों पर डाल दी. यह अमेरिका और ताइवान द्वीप के बीच मिलीभगत है. इसके साथ ही ये चीन के प्रति अमेरिका की गंभीर राजनीतिक प्रतिबद्धता के साथ विश्वासघात भी है. चीन और अमेरिका के बीच एक-चीन सिद्धांत और यूएस-चीन के बीच तीन समझौतों का उल्लंघन करने के अलावा, यह यात्रा संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 2758 का भी उल्लंघन करताहै. अमेरिका में कुछ राजनेता जिम्मेदारी से बचने की कोशिश के रूप में तथाकथित शक्तियों के अलगाव का उपयोग करते हैं.चीन के सरकारी मीडिया ने अमेरिका को धमकी देते हुए लिखा है कि कोई भी स्वतंत्र और संप्रभु देश बाहरी हस्तक्षेप करने वाली ताकतों और आंतरिक अलगाववादी ताकतों को संयुक्त रूप से अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने की साजिश करने की अनुमति नहीं देगा, चीन जैसे बड़े देश की तो बात ही छोड़िए. इसलिए चीन के हितों की रक्षा के लिए उठाए गए कोई भी प्रतिवाद वैध और आवश्यक हैं.ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि हमें पेलोसी जैसे लोगों को यह समझाना चाहिए कि ताइवान ऐसी जगह नहीं है, जहां वे अपनी मर्जी से जा सकें. पेलोसी ने मंगलवार को जिस विमान से उड़ान भरी थी, उससे पता चलता है कि विमान दक्षिण चीन सागर के ऊपर से गुजरा था, इस डर से कि PLA संबंधित जलक्षेत्र में लाइव-फायर अभ्यास कर रही है.चीनी मीडिया के मुताबिक, जब पेलोसी ताइवान के रास्ते में थी, PLA वायु सेना ने ताइवान द्वीप को पार करने के लिए अपने SU-35 लड़ाकू विमानों को भेजा. PLA ईस्टर्न थिएटर कमांड मंगलवार की रात से उत्तर, दक्षिण-पश्चिम, द्वीप के दक्षिण-पूर्व में संयुक्त समुद्री और हवाई अभ्यास, ताइवान जलडमरूमध्य में लंबी दूरी की तोपखाने की शूटिंग और द्वीप के पूर्व में समुद्री क्षेत्रों में पारंपरिक मिसाइल परीक्षण फायरिंग के साथ ताइवान द्वीप के आसपास संयुक्त सैन्य अभियान चलाएगा. इसके अलावा PLA गुरुवार से रविवार तक ताइवान के आसपास लाइव-फायर ट्रेनिंग समेत महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास और प्रशिक्षण गतिविधियों का भी संचालन करेगा.ग्लोबल टाइम्स ने अपने एडिटोरियल में लिखा, चीन के जवाबी उपायों का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देना है. पेलोसी जैसी ताकतें ऐतिहासिक और कानूनी तथ्य को नहीं बदल सकती हैं कि ताइवान चीन का है और न ही वे चीन के एकीकरण को साकार करने की प्रवृत्ति में बाधा डाल सकते हैं. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अमेरिका और DPP अधिकारी जैसी बाहरी ताकतें अपनी मिलीभगत और उकसाने के लिए कदम उठाते हैं, उतनी ही तेजी से चीन एकीकरण का एहसास करेगा. अपनेसंपादकीय में पेलोसी का जिक्र करते हुए लिखाकि उन्होंने ताइवान में तनाव लाने के अलावा कोई और अच्छा काम नहीं किया. ताइवान में मीडिया ने खुलासा किया है कि DPP अधिकारियों ने पेलोसी को अपना निमंत्रण गुप्त रूप से वापस ले लिया था, लेकिन अमेरिकी राजनेता की निंदा की वजह से यह जारी रखा गया था. यह अमेरिका और ताइवान के बीच संबंधों की एक सच्चाई है.

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